Tuesday, 24 September 2024

संकट सफलता की नीव है - विली जॉली

 

संकट सफलता की नीव है-विली जॉली

जिस मिनट आप निर्णय लेते है और काम करना शुरू करते है....उसी मिनट आप अपनी जिंदगी बदल लेते है |

 

यह बारह कदम आपको सीढ़ी-दर- सीढ़ी, बिंदु-दर- बिंदु विशेष योजना बताएँगे :

1.   दृष्टिकोण : अपनों भविष्य-दृष्टि की जाँच करें ........आपको क्या नज़र आता है ? क्युकी आप जो देखते है, वही आपको मिलता है |

2.      यह समझ ले कि जिंदगी उतार-चढ़ाव का खेल है : कई बार आप कार का शीशा बन जाते है, तो कई बार आप मक्खी बन जाते है |

3.      अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करें : आप कही जा रहे है ? अगर सपना पर्याप्त बड़ा है, तो समस्याओ से फर्क नहीं पड़ता है |

4.      निर्णय लें : आपके सामने संकट है, अब आपको यह निर्णय लेना है कि आप इससे कैसे निबटेंगे |

5.      दहशत में न आयें : दहशत से जरा सी भी शक्ति नहीं मिलती है | शांत, स्थिरचित और सकारात्मक बने रहने का निर्णय लें |

6.      रुके और सोचें : पीछे हटे, अंदर झाँके, बाहर जाँच करे और ऊँचा सोचें | अपने विकल्पों पर गौर करें |

7.      कर्म करें : आप कैमरे के सामने खड़े हो सकते है, बत्तियाँ भी चालू हो सकती है, परन्तु जब तक आप कर्म नही करेंगे तब तक कुछ भी नहीं होगा |

8.      जिम्मेदारी लें : समस्या का सामना करें, इसे खोजें, मिटा दें और बदल डालें |

9.      अपने क्रोध का दोहन करें : क्रोध को शांत करने के बजाय इसका प्रयोग करें |

10.  आस्था रखें : आप पर “ईश्वर का आशीर्वाद और वरदहस्त” है |

11.  “हाँ” कहें : अपने सपनो को हाँ कहें | अपने लक्ष्यों को हाँ कहें | अपने संकल्प के प्रति समर्पित हों | जीतने का संकल्प लें, हारने से इंकार करें और कभी मैदान न छोड़ें |

12.  यह कहना सीखें कि सब कुछ अच्छा है | कृतज्ञः रहें | कृतज्ञता  का नजरिया रखें |

 

 

संकट को सफलता में बदलने में...सिर्फ एक मिनट लगता है |

 

क्या आप में परिवर्तन करने की इच्छा है ?

समय हर चीज़ को बदल देता है, इसलिए जो पहले था...वह आज नहीं है, और जो आज है....वह जल्दी ही नहीं रहेगा | सतत्त परिवर्तन ही एकमात्र वास्तविकता है |

 

हममें से कोई भी अपने अतीत को नहीं बदल सकता, परन्तु हम सभी अपने भविष्य को बदल सकते है |

 

असफलता पर एक दृष्टिकोण

 आप कई बार असफल हुए है, हालाँकि हो सकता है आपको ये घटनाये याद न हों :

·         जब आपने चलने की कोशिश की थी, तब आप गिर गए थे |

·         जब आपने पहली बार बोलने की कोशिश की थी, तो आपके मुहँ से आवाज़ भी नहीं निकल पाई थी |

·         जब आपने पहली बार खुद कपड़े पहने थे, तो आप जोकर की तरह दिख रहे थे|

 

परन्तु आपने हार नहीं मानी |

·         जब आपने पहली बार बल्ला घुमाया था, तो क्या आपने गेंद को मार दिया था ?

·         जब आपने पहली बार कार्टव्हील (गाड़ी) बनाने की कोशिश की थी, तो क्या आप उसमे सफल हुए थे ?

·          जब आपने पहली बार कार चलाई थी, तो क्या आप उसे फराँटे से बिना रुके चला पाए थे ?

·         जब आपने पहली बार जादू का कोई करतब दिखाया था, तो क्या आपने यह बिलकुल आदर्श तरीके से किया था ?

·         बेसबॉल के जो सफल हिटर्स सबसे ज्यादा होम रन हित करते है, उन्ही से सबसे ज्यादा गेंदे छूटती भी है |

·         बेब रुथ 1330 बार हिट नहीं कर पाए थे, परन्तु उन्होंने 714 होम रन भी हिट किये थे |

·         आर. एच. मैसी न्यूयॉर्क में अपना सफल स्टोर खोलने से पहले सात बार असफल हुए थे |

·         हम सब कई बार असफल होते है | यह तो सफलता का हिस्सा है | बस कोशिश करना न

छोड़ें |

·         असफलता के बारें में चिंता न करे, उन अवसरों के बारें में चिंता करें जो आपसे इसलिए छूट जाते है, क्युकी आपने कोशिश ही नहीं की......

 

 

 

खंड एक

भविष्य-दृष्टि की शक्ति

 

आपको क्या नज़र आता है ? क्युकी आप जो देखते हैं, वही आपको मिलता है |

क्या अंधेपन से भी बुरी कोई और चीज़ है ? हाँ |

आँखों की रौशनी ....अगर भविष्य-दृष्टि न हो |

 

मनुष्य की सीमा वाही है, जो उसकी कल्पना की उड़ान की सीमा है |

 

जहाँ भविष्य-दृष्टि नहीं होती, वहाँ के लोगों का नाश हो जाता है |

 

पहला कदम :

हर महत्त्वपूर्ण अनुभव को या तो संकट के रूप में देखा जा सकता है या फिर एक अद्भुत नए रोमांच की शुरुआत के रूप में | यह आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है |

 

जीवन में हम सबको कई बार पराजय मिलती है, परन्तु यह संभव है की आप पराजित होने के बाद भी न हारें और असफल हुए बिना असफलता को झेल जाएँ | विजेता  असफलता और पराजयों को जीतने की प्रक्रिया का हिस्सा मानते हैं |

 

आप इस बात पर दुखी होते है कि गुलाबो की टहनियों में काटें है या फिर इस बात पर खुश होते है कि कंटीली झाड़ियो पर गुलाब है ?

 

 

पहला कदम : शिक्षण बिंदु

1.      भविष्य-दृष्टि के बिना लोग नष्ट हो जायंगे, जबकि भविष्य-दृष्टि होने पर लोग समृद्ध होंगें |

2.      अतीत को निवास का नहीं, बल्कि संदर्भ का स्थान मानना चाहिए |

3.      स्कूल में आपको सबक पहले दिया जाता है, इम्तहान बाद में लिया जाता है | जबकि जिन्दगी में  इम्तहान पहले लिया जाता है, सबक बाद में दिया जाता है |

4.      जीवन को पीछे की तरफ देखकर समझा जाता है, परन्तु इसे आगे की तरफ देखकर जिया जाता है |

5.      हम बिना पराजित हुए पराजय का सामना कर सकते है |

6.      संकट को अंत नहीं, विराम मानें |

7.      अगर समस्याएं नहीं होती, तो अवसर भी नहीं होते |

8.      हर निर्गम द्वार एक नई जगह का प्रवेश द्वार भी है, जहाँ नई संभावनाएं हैं |

9.      जब आपको अपरिचित स्वर्ग मिल सकता हो, तो परिचित नर्क में रहने का विकल्प न चुनें |

10.  अगर आप अच्छी चीजो की तलाश करेंगे, तो आपको अच्छी चीजें ही मिलेंगी | इसलिए सकरात्मक  दृष्टिकोण रखने का निर्णय लें |

 

 

दूसरा कदम

यह समझ लें कि जिंदगी उतार-चढाव का खेल है......

कई बार आप कार का शीशा बन जाते है तो कई बार आप मक्खी बन जाते है |

यह ऐसा समय है, जो इंसानों की आत्माओ का इम्तहान लेता हैं |

 

दूसरा कदम : शिक्षण बिंदु

1.      जिंदगी मुश्किल हैं, इसलिए आपको कोशिश करते रहना चाहिए |

2.      जिंदगी लहरों का नाम है और लहरें अच्छी होती है | इ.सी.जी. पर सीधी सपाट रेखा का मतलब यह है कि आप मर चुके हैं |

3.      लचीलापन विकसित करें, ताकि आप पलटकर सँभल सकें और फिर ज्यादा ऊँची उड़ान भर सकें |

 

4.      नियम तोड़ें, यानी मर्फी का नियम तोड़े | आगे बढ़ते रहें |

5.      अगर ईश्वर आपके साथ है, तो जीत आपकी ही होगी |

6.      आस्था, एकाग्रता और लगन रखें |

7.      बाधाओं से न घबराएँ |

8.      जीतने के नए तरीकें सीखें |

9.      इसे व्यक्तिगत रूप से न लें | ऍफ़. आई. डी.ओ. (भूल जाएँ और आगे बढ़े) का अभ्यास करें |

10.  नीचे गिरने में कोई बुराई नहीं है, बस दोबारा उठकर खडें हो जाएँ | अगर आप गिरने के बाद दोबारा उठकर खडें नहीं होंगे, तो आप कभी चलना या दौड़ना नहीं सीख पाएंगे |

 तीसरा कदम

अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करें.....

आप कहाँ जा रहे है ?

अगर सपना पर्याप्त बड़ा है तो समस्याओ से फर्क नहीं पड़ता है |

 

किसी ने भी आसमान को तब तक नही छुआ, जब तक किसी ने यह सपना नहीं देखा कि एसा होना चाहिए, जब तक किसी ने यह विश्वास नहीं किया कि ऐसा हो सकता है और जब तक किसी ने यह इच्छा नहीं की कि ऐसा होगा |

 

सपने सब देखते है, परन्तु सामान रूप से नहीं देखते है | जो लोग रात में अपने मस्तिष्क के धूल भरे गलियारों में सपने देखते है,वे जागने पर पते है कि यह तो सिर्फ कपोलकल्पना थी | परन्तु दिन में सपने देखने वाले लोग खतरनाक होते है, क्युकी वे यह सुनिश्चित करने के लिए खुली आँखों से सपने देखते है कि उनके सपने साकार हो जायेंगें |

 

 

तीसरा कदम : शिक्षण बिंदु

1.      अगर सपना पर्याप्त बड़ा है, तो समस्याओ से फर्क नहीं पढता है | इसलिए बड़े सपने देखें |

2.      अगर आपके पास कोई सपना ही नहीं है, तो आप उसे कैसे साकार करेंगें ?

3.      चीटीं की तरह बनें | आगे बढ़ते रहें, जब तक कि आप अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाएँ या मर न जाएँ |

4.      आने वाले कल की योजना बनाएँ और तैयारी करें | गर्मी में आने वाले जाड़े के बारे में सोचें और जाड़े में आने वाली गर्मी के बारे में सोंचे |

5.      यह जान ले कि जहाँ भविष्य-दृष्टि होगी, वहाँ आपको विरोध भी मिलेगा |

6.      विजेता इस बात से नहीं डरते है कि लोग उन्हें जीतने के लिए संघर्ष करते देखें |

7.      हाँ यह काम कठिन है, इसलिए आपको इसे कठिन तरीके से करना चाहिए |

8.      अपने सपने के लिए संघर्ष करने के इच्छुक रहें |

9.      अगर लोग आपके सपनों पर हँस नहीं रहे है, तो आपका सपना पर्याप्त बड़ा नहीं हैं |

10.  जो लोग अविश्वनीय काम करने की कोशिश करना चाहते है, सिर्फ वाही महान काम कर पाते हैं |

 

 

 

 

खंड दो

निर्णय की शक्ति

चौथा कदम 

निर्णय लें आपके सामने संकट है

अब आपको यह निर्णय लेना है कि आप इससे कैसे निबटेंगे |

 

आप अपनी जिंदगी के रचियता बन सकते है, या फिर आप अपनी परिस्थितियों के शिकार बन सकते हैं | यह आप पर निर्भर करता है |

 

चौथा कदम : शिक्षण बिंदु

1.      याद रखें, सफलता संयोग नहीं, बल्कि चुनाव है | सफल बनने का चुनाव करें |

2.      जिंदगी के लिए निर्णय लें, वरना जिंदगी आपके लिए निर्णय ले लेगी |

3.      परिस्थितियों महत्वपूर्ण नहीं होती, उन पर आपकी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होती है |

4.      अभिक्रिया (react) करने के बजाय प्रतिक्रिया (respond) करने का चुनाव करें |

5.      डॉक्टर बीमारी का पता लगाते है, ईश्वर उसका इलाज करता है |

6.      अगर डॉक्टर कहें कि आपके पास जीने के लिए सिर्फ छह महीने है, तो आप पच्चीस साल तक जीने का फैसला करें |

7.      याद रखे, खेल तब तक ख़त्म नहीं होता, जब तक कि आप जीत नहीं जाते |

8.      जब तक आप साँस ले रहे है, तब तक इस बात की सम्भावना है कि आप सफल हो सकते है |

9.      खुद पर मेहनत करने का फैसला करें |

10.  बुद्धि और साहस के लिए हर दिन प्रार्थना करें |

पाँचवा कदम

दहशत में न आयें

दहशत से जरा सी भी शक्ति नहीं मिलती हैं | शांत , स्थिरचित और सकारात्मक बने रहने का निर्णय लें |

पाँचवा कदम : शिक्षण बिंदु

1.      दहशत में न आयें | दहशत में जरा सी भी शक्ति नहीं होती है |

2.      शांत रहने का अभ्यास करें और खुद को शांत करते रहें |

3.      भयानक और विनाशकारी चिंतन न करें, नुकसान के बाद नुकसान न जोड़ते रहें |

4.      जब आपके सामने “शुक्रवार” की स्थिति आए, तो याद रखे कि “रविवार” आने वाला है |

5.      चाहे आज स्थितियां आज कितनी भी बुरी हो, कल आने वाला है | सूर्य कल निकलेगा | इंतजार करें |

6.      याद रखे, आपका नजरिया तथ्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण है |

7.      जो भी आपके पास है, उसी से जीतने का संकल्प करें |

8.      तनाव में न आए, खुश रहें |

9.      जब कोई व्यक्ति कहता है कि कोई काम नहीं किया जा सकता, परन्तु दूसरा व्यक्ति उस काम को करके दिखा देता है, तो इससे बढ़िया और कोई बात नहीं होती |

10.  असफलता का जोखिम लेने के लिए तैयार रहें, क्युकी सिर्फ तभी आप सचमुच सफल हो सकते है |

 

छठा कदम

रुके और सोचें

पीछे हटें, अंदर झांकें, बहार जाँच करें और ऊँचा सोचें | अपने विकल्पों पर गौर करें |

छठा कदम : शिक्षण बिंदु

1.      ठहरे और अपने विकल्पों के बारे में सोचें |

2.      पीछे हटें और अपने तथा समस्या के बीच थोड़ा फासला बनाएँ |

3.      अपनी स्थिति की जाँच करें और उसका सही आकार पता करें | फिर “सिर्फ” और “केवल” जैसे और सीमित करने वाले शब्दों का प्रयोग करते हुए समस्या का वर्णन करे, ताकि आप उसके आकार को कम कर दें |

4.      अपनी आंतरिक प्रतिभा और अनुभव का दोहन करें |

5.      अच्छी तरह विचार करें | परम्परागत बक्से के बाहर सोचें |

6.      जब आपको समझ न आ रहा हो कि क्या करें, तो कोई नया काम करें |

7.      खुद को दोबारा खोंजे, लगातार कोशिश और विकास करते रहें |

8.      नेटवर्क तैयार करें और सामरिक गठबंधन करें |

9.      आरामदेह काम करने के बजाय आवश्यक काम करें |

10.  सवाल पूछे | मदद माँगे और अपने विकल्पों के बारे में पूछें |

 

 

 

खंड तीन

कर्म की शक्ति

सातवाँ कदम

कर्म करें

आप कैमरे के सामने खड़े हो सकते है, बत्तियाँ भी चालू हो सकती है, परन्तु जब तक आप कर्म नहीं करेंगे, तब तक कुछ भी नहीं होगा |

 

झिझक की रेत उन करोड़ो लोगो की हड्डियां बिखरी पड़ीं है, जो जीत के मुहाने पर थे, परन्तु बैठकर इंतज़ार करते रहे और इंतज़ार करते- करते ही मर गए |

कई बार आपको वह बनाने का अभिनय करना पड़ता है, जो आप बनाना चाहते है....तब तक जब तक कि आप सचमुच वह न बन जाएँ...नए किस्म के चिंतन का नाटक करें और सोच-सोचकर एक नए तरह के काम को कर डालें |

 

सातवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      कर्म करे, क्युकी कर्म के बिना भविष्य-दृष्टि  सिर्फ एक इच्छा है और इच्छाओ का कोई आधार नहीं होता है |

2.      कड़ी मेहनत काम आती है |

3.      महत्वकांक्षा के बिना कुछ शुरू नहीं हो पता अहि और कड़ी मेहनत के बिना कुछ पूरा नहीं हो पाता है |

4.      आपके साथ क्या होता है यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण तो वह है जो आप उसके बारे में बात करते

है |

5.      “नहीं” और कुछ नहीं, बल्कि “हाँ” का इंतज़ार है |

6.      लगन हर विरोध को तोड़ देती है |

7.      बुलडॉग की तरह बनें, बिना पीछे हटे साँस लेना सीखें |

8.      अच्छे से अच्छे की आशा करें, बुरे से बुरे के लिए तैयार रहें और इन सबका जश्न मनाएँ |

9.      दृढ़ मानसिकता से ज्यादा शक्तिशाली और कुछ नहीं है, इसलिए अपने मस्तिष्क को दृढ़ बनाएँ |

10.  उन चीजों की छोड़ दें, जो आपको नीचे रखती है, बाँधे रखती है या जकड़े रखती हैं |

 

आठवाँ कदम

जिम्म्मेदारी लें

समस्या का सामना करें | इसे खोंजे, मिटा दें और बदल डालें |

हो सकता है आप गिरने के लिए जिम्मेदार न हो, परन्तु आप दोबारा उठने के लिए जिम्मेदार होते है |

आठवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      हो सकता है आप नीचे गिरने के लिए जिम्म्मेदार न हो, परन्तु आप उठकर खड़े होने के लिए जिम्मेदार है |

2.      अपनी योग्यताओं, अपने एन.बी.ए. (नैसर्गिक प्रतिभा) के साथ प्रतिक्रिया करें |

3.      इसका सामना करें : समस्या को स्वीकार करें | ईश्वर से इसे सुलझाने की प्रार्थना करने क बजाय यह प्रार्थना करें कि वह इसका सामना करने में आपकी मदद करें |

4.      इसका कारण खोजें : समस्या का विशलेषण करके यह पता लगाएँ कि कही अपने इसे पैदा करने में कोई योगदान तो नहीं दिया हैं |

5.      समस्या से सबक सीखें : एक बार हो तो इसे गलती कहते है ...दो बार हो तो इसे मूर्खता कहते है |

6.      इसे मिटा दें : समस्या पर अटके न रहें | खुद को माफ़ कर दें और आगे बढ़ जाएँ |

7.      इसे बदल दें : नकारात्मक अनुभवों और जानकारी के बजाय सकारात्मक अनुभव और जानकारी रख लें |

8.      प्रयास करें : तब तक कर्म करें, जब तक कि कुछ हो न जाये |

9.      जिम्मेदारी लें : अगर यह काम किया जा सकता है, तो इसे किया ही जाना चाहिये |

10.  अपनी आत्म-चर्चा को बदल दें : खुद से अच्छी बाते करें | खुद के बारे में अच्छा बोले |

नौवाँ कदम

अपने क्रोध का दोहन करें

क्रोध को शांत करने के बजाय इसका प्रयोग करें |

कई बार सफलता उस असफल व्यक्ति को मिल जाती है, जो गुस्से से पागल हो जाता है | उसे इतना गुस्सा आ जाता है कि वह कर्म करने में जुट जाता है, गुस्सा होने में कोई बुराई नहीं है, बस उसे अपने पर हावी न होने दें |

 

नौवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      कई बार सफलता उस असफल व्यक्ति को मिलती है, जिसे आख़िरकार गुस्सा आ जाता है...इतना गुस्सा कि वह कदम उठा लेता है |

2.      सिर्फ गुस्से से पागल न बने, सिर्फ बराबरी न करें....बल्कि आगे निकल जाएँ |

3.      अपने गुस्से को नियंत्रित करें | याद रखे, ईश्वर जिन्हें बर्बाद करना चाहता है, उन्हें वह गुस्से से पागल कर देता है |

4.      अगर अनुशासन न हो, तो क्रोधित होने में खतरा है |

5.      गुस्से को अपना शत्रु बनाने के बजाय मित्र बनाएँ | क्रोध का प्रयोग प्रेरणादायक औजार के रूप में करें | अपने क्रोध को गँवाने के बजाये इसका प्रयोग करें |

6.      याद रखे, जबर्दस्त सफलता सर्वश्रेठ प्रतिशोध है |

7.      शांत और संयमशील बने रहने के लिए क्रोध की दिनचर्या का विकास करें |

8.      जब आपको लगे कि आप जमकर गुस्सा होने वाले है, तो उस पर काबू पाने का एक तंत्र या तरीका ईजाद करें |

9.      बोलने और करने से पहले सोचें |

10.  अपने “अलेमो” को याद रखें और प्रेरित बने रहने के लिए इसे याद करते रहें |

 

 

 

 

 

खंड चार 

इच्छा की शक्ति

 

 

दसवाँ कदम

आस्था रखें

आप पर “ईश्वर का आशीर्वाद और वरदहस्त” है |

 

अगर आप सिर्फ विश्वास कर सकें, जो लोग विश्वास करते है, उनके लिए कुछ भी संभव है |

 

जो धन गवांता है, वह कुछ गवांता है,

जो मित्र गवांता है, वह बहुत कुछ गवांता है,

जो आस्था गवांता है, वह सब कुछ गँवा देता है |

 

जीवन में हमें ईश्वर कई अवसर देता हिया, जो चुनौतियों के रूप में छुपे होते है |

 

 

दसवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      पता लगाये कि आपकी आस्था कहाँ है ? यह ईश्वर में है या परिस्थितियों में ?

2.      दूसरे जो बुरे की लिए करते है, ईश्वर उसे भले के लिए करता है | बस आस्था रखे |

3.      अपने डरो के अनुसार नहीं, बल्कि अपनी आस्था के अनुसार जिएँ |

4.      आपमें डर है या आस्था है | डर वह झूठा प्रमाण है, जो सच्चा लगता है, जबकि आस्था का अर्थ है अपने दिल में जवाब खोजना |

5.      ईश्वर सिर्फ एक विचार नहीं देता है |

6.      विश्वास रखें कि आप पर “ईश्वर का आशीर्वाद और वरदहस्त” है | इसे बोले और जिएँ |

7.      अपनी समस्याओं को नहीं, बल्कि अपनी नियामतों को गिनें |

8.      जब दूसरो को आपकी सफलता पर विश्वास न हो, तब भी आपको खुद पर भरोसा होना चाहिए |

9.      आस्था यह विश्वास करना है कि सही दिशा में कर्म करने पर आप किसी अच्छी जगह पर पहुँच जांएगे |

10.  अपनी एडियाँ तीन बार चटकाएँ : एक बार आस्था के लिए, फिर एकाग्रता के लिए और फिर कर्म के लिए | जब आप शक्ति को अपने भीतर गहराई में खोज लेंगे, तो आप अपने घर पहुँच जायेंगे |

ग्यारवाँ कदम

“हाँ” कहें |

अपने संकल्प के प्रति समर्पित रहें | जीतने का संकल्प लें, हारने से इंकार करें और कभी मैदान न छोड़ें |

 

बात यह नहीं है कि आपको गिरा दिया जाता है | बात तो यह है कि क्या आप दोबारा उठ कर खड़े होते हैं |

 

इंसान का पैमाना यह है कि वह दुर्भाग्य को किस तरह सहन करता है | मैं आहत हो सकता हूँ, परन्तु मैं मरा नहीं हूँ | मैं कुछ देर ज़मीन पर पड़ा रहूँगा और खून बहने दूंगा, परन्तु मैं उठूँगा और दोबारा लड़ूंगा |

 

ग्यारवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      संकल्प कर लें | फिर अपने संकल्प के प्रति समर्पित हों |

2.      यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपको किसने गिराया है, महत्वपूर्ण तो यह है कि क्या आप दोबारा उठकर खड़े होते है |

3.      जीतने की अपेक्षा रखे, हारने से इंकार करें और कभी मैदान न छोड़ें |

4.      प्राथमिकतायें तय करें और प्रमुख चीज़ को प्रमुखता दें |

5.      जीतने की प्रबल इच्छाशक्ति विकसित करें |

6.      चाहे आप कितनी ही बार असफल हो जाएँ, हमेशा उठकर खड़े होते रहें |

7.      अगर आप करना जानते है, तो आप किसी भी स्थिति को झेल सकते है | कारण पर ध्यान केन्द्रित करें |

8.      सिर्फ आप ही है, जो कभी अपना साथ छोड़कर नहीं जायेंगे, इसलिए खुद से प्रेम करना सीखें |

9.      बाकी लोगो का नेतृत्त्व करने से पहले आपको खुद का नेतृत्त्व करने में सक्षम होना चाहिए |

10.  उत्कृष्टता का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए उत्कृष्टता को अपनी प्राथमिकता बना लें |

 

बारहवाँ कदम

सब कुछ अच्छा है

कृतज्ञ रहें | कृतज्ञता का नजरिया रखें |

सब चीज़े मिलकर उन लोगो के भले के लिए काम करती है, जो ईश्वर से प्रेम करते है और उसके लक्ष्यों के अनुसार काम करते है |

 

बारहवाँ कदम : शिक्षण बिंदु

1.      जो भी होता है, भले के लिए होता है |

2.      सब चीज़े मिलकर भले के लिए काम करती हैं |

3.      जब बारिश हो रही हो, तो रोने से कोई फायदा नही होता | समस्या पर नहीं, बल्कि समाधान पर ध्यान केन्द्रित करें |

4.      कृतज्ञता का नजरिया रखें |

5.      कई बार ईश्वर हिलाता भी है और बनता भी है |

6.      चिंता से कोई समस्या नहीं सुलझती है, कर्म से सुलझती है |

7.      जीतने का विकल्प चुने | स्वस्थ, दौलतमंद, बुद्धिमान, सुखी और कृतज्ञ बनने का विकल्प चुनें |

8.      आपकी जलती झोपड़ी ज्यादा बड़ी सफलता का धुएं का संकेत हो सकती है |

9.      भविष्य-दृष्टि, निर्णय, कर्म और इच्छा मिलकर सशक्त टीम बनाते है | उनके बिना घर के बाहर न

निकलें |

10.  सफल होने में सिर्फ एक मिनट का समय लगता है | जिस मिनट आप निर्णय लेते है और कर्म करना शुरू करते है, आप सफलता के रास्ते पर चलने लगते है |

 

 

उपसंहार

आपके पास सिर्फ एक मिनट है, इसमें सिर्फ आठ सेकण्ड है, इसे आप पर थोपा गया है, आप इसे लेने से इंकार नहीं कर सकते, आपने इसे चाहा नहीं था, इसका चुनाव नहीं किया था, परन्तु इसका प्रयोग करना आप पर निर्भर करता है, अगर आप इसे गवाएंगे, तो आप कष्ट उठायेगे

अगर आप इसका दुरूपयोग करेंगे, तो आपको जवाब देना होगा,

एक छोटा सा मिनट, परन्तु इसमें अमरता छुपी है |

 

 


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