पाँच कारक, जो आपकी पॉलिसी के प्रीमियम को
प्रभावित करते हैं
भारत में मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, कम
से कम थर्ड-पार्टी बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी लेना अनिवार्य है। इसका मतलब यह है कि
आप अपनी बाइक को देश के किसी भी हिस्से में पंजीकृत या चालित नहीं कर सकते हैं, जब तक आपके पास वैध टू-व्हीलर इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं होती।
जब आप भारत के कुछ बेहतरीन बाइक इंश्योरेंस कंपनियों की तलाश करते
हैं, तो आपको आमतौर पर तीन प्रकार की पॉलिसी मिलती हैं:
थर्ड-पार्टी लायबिलिटी पॉलिसी,
स्टैंडअलोन ओन डैमेज पॉलिसी, और
व्यापक (कॉम्प्रिहेंसिव) टू-व्हीलर इंश्योरेंस पॉलिसी।
बीमा कंपनी बाइक के कवरेज के लिए जोखिमों का आकलन करने के लिए कई कारकों को ध्यान में रखती है।
नीचे पाँच ऐसे मुख्य कारक दिए गए हैं, जो आपकी पॉलिसी के प्रीमियम को प्रभावित करते हैं।
1. बाइक का निर्माता
बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी का उद्देश्य बाइक के मूल्य को कवर करना होता
है, इसलिए बाइक के निर्माता का इंश्योरेंस प्रीमियम पर सीधा असर पड़ता
है। यदि बाइक की बाजार कीमत अधिक है, तो
उसकी बीमित घोषित मूल्य (IDV) भी अधिक होगी, जिससे इंश्योरेंस राशि और प्रीमियम दोनों ही बढ़ जाएंगे।
2. बाइक का मॉडल
बाइक के निर्माता के साथ-साथ, उसका मॉडल भी इंश्योरेंस दरों को प्रभावित करता है। महंगी स्पोर्ट्स बाइक की मरम्मत लागत अधिक होती है, जिससे प्रीमियम भी अधिक होता है। इसके विपरीत, कम महंगी बाइक की मरम्मत लागत कम होती है, जिससे प्रीमियम भी कम होता है। बीमा कंपनी बाइक की मौजूदा बाजार कीमत को ध्यान में रखकर प्रीमियम की गणना करती है।
3. बाइक का इंजन
बाइक के इंजन का आकार, जिसे
घन क्षमता (सीसी) में मापा जाता है, बीमा
राशि को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। जितना बड़ा इंजन होगा, उतना ही अधिक प्रीमियम आपको देना पड़ेगा। इंजन की घन क्षमता के आधार
पर बीमा प्रीमियम तय किया जाता है। इसलिए, बाइक
के इंजन को हमेशा अच्छे हालात में रखना महत्वपूर्ण है।
4. बाइक की उम्र
बाइक की उम्र भी बीमा प्रीमियम को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण
कारक है। बाइक जितनी पुरानी होगी, उसकी मूल्यह्रास दर उतनी ही अधिक होगी।
बीमा कंपनी बाइक की उम्र को ध्यान में रखकर प्रीमियम की गणना करती है। पुरानी बाइक
के लिए प्रीमियम अधिक हो सकता है, जबकि नई बाइक के लिए कम हो सकता है।
5. बीमित घोषित मूल्य (IDV)
बाइक के निर्माता, मॉडल और उम्र के अलावा, बाइक की मौजूदा बाजार कीमत भी प्रीमियम को प्रभावित करती है। बीमा
कंपनी बाइक की बाजार कीमत के आधार पर बीमित घोषित मूल्य (IDV) निर्धारित करती है। बीमा कंपनी बाइक चोरी या पूरी तरह से नुकसान होने
की स्थिति में IDV के आधार पर अधिकतम मुआवजा देती है। IDV की
गणना करते समय बीमा कंपनी कटौतियों और मूल्यह्रास को भी ध्यान में रखती है।
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